कछुआ का प्रतीक एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है। वास्तु तथा फेंगशुई में इसको स्थापित करने के कुछ सिद्धांत बताए गए हैं जिसे अपनाकर हम वास्तु की इस अमूल्य धरोहर से लाभान्वित हो सकते हैं। कछुए को घर में रखने से कामयाबी के साथ-साथ धन-दौलत का भी समावेश होता है। इसे अपने ऑफिस या घर की उत्तर दिशा में रखें। कछुए के प्रतीक को कभी भी बेडरूम में ना रखें। कछुआ की स्थापना हेतु सर्वोत्तम स्थान ड्राईंग रूम है। दो कछुओं के प्रतीक एक साथ घर में ना रखें क्योंकि कछुए के प्रतीक एक साथ होने पर लाभ क्षेत्र बाधित होता है। कछुए की स्थापना हेतु उत्तर दिशा सर्वोत्तम है क्योंकि शास्त्रों में उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। पूर्व दिशा की ओर भी कछुए के प्रतीक को स्थापित किया जा सकता है। कछुए का मुंह घर के अंदर की ओर रहे। कछुए को सूखे स्थान पर रखने की बजाय किसी बर्तन में पानी भर कर रखें। कछुआ की पीठ पर सात धातु से बना सर्व सिद्धि यंत्र साहस और समृद्धि देता है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
चाईनीज वास्तु अर्थात फेंगशुई में कछुए को शुभता का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कछुए के प्रतीक को घर में रखने से आर्थिक उन्नति होती है तथा घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। वास्तु तथा फेंगशुई में धातु यां स्फटिक निर्मित फेंगशुई कछुआ घर में रखते हैं। कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र है जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है।
सनातन धर्म में कछुए को कच्छप अवतार कहकर संबोधित किया जाता हैं। और इसे शुभ माना जाता है।
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